आचार्य विश्वनाथ मुम्बई
बिहार रिपोर्ट : लगभग 7000 वर्ष पुराना पत्थर जो कि नल नील द्वारा राम नाम लिखकर समुद्र में सेतु बनाने के लिए प्रवाह किया गया था |
आपने तैरने वाला पत्थर देखा होगा। नहीं देखा होगा तो सुना होगा। कहते हैं कि इसी पत्थर से रामसेतु बनाया गया था।
दोस्तों अगर आपको दर्शन करना है ईस पत्थर का तो मुंबई में स्थित आचार्य विश्वनाथ जी महाराज के पास ये पत्थर पाया गया है, और ईस पत्थर का हर दिन पूजा किया जाता है आचार्य विश्वनाथ जी महाराज के द्वारा।

SWIMMING STONE IN RAM SHETU ACHARYA JI MUMBAI-बिहार रिपोर्ट

बिहार रिपोर्ट : भारत के दक्षिणी भाग के अलावा श्रीलंका, जापान सहित अनेक स्थानों में ऐसे पत्थर मिलते हैं। ये सामान्यतः द्वीपों, समुद्र तट, ज्वालामुखी के नजदीकी क्षेत्रों पर काफी मात्रा में मिलते हैं।
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नल और नील के सान्निध्य में वानर सेना ने 5 दिन में 30 किलोमीटर लंबा और 3 किलोमीटर चौड़ा पूल तैयार किया था। शोधकर्ताओं के अनुसार इसके लिए एक विशेष प्रकार के पत्थर का इस्तेमाल किया गया था जिसे विज्ञान की भाषा में ‘प्यूमाइस स्टोन’ कहते हैं। यह पत्थर पानी में नहीं डूबता है। रामेश्वरम में आई सुनामी के दौरान समुद्र किनारे इस पत्थर को देखा गया था।
तैरने वाला यह पत्थर ज्वालामुखी के लावा से आकार लेते हुए अपने आप बनता है। ज्वालामुखी से बाहर आता हुआ लावा जब वातावरण से मिलता है तो उसके साथ ठंडी या उससे कम तापमान की हवा मिल जाती है। यह गर्म और ठंडे का मिलाप ही इस पत्थर में कई तरह से छेद कर देता है, जो अंत में इसे एक स्पांजी, जिसे हम आम भाषा में खंखरा कहते हैं, इस प्रकार का आकार देता है। http://www.biharreport.com/
प्यूमाइस पत्थर के छेदों में हवा भरी रहती है, जो इसे पानी से हल्का बनाती है जिस कारण यह डूबता नहीं है। लेकिन जैसे ही धीरे-धीरे इन छिद्रों में पानी भरता है तो यह पत्थर भी पानी में डूबना शुरू हो जाता है। यही कारण है कि रामसेतु पुल कुछ समय बाद डूब गया था और बाद में इस पर अन्य तरह के पत्थर जमा हो गए। माना जाता है कि रामसेतु के लिए प्रारंभ में डूबने वाले पत्थरों को डालकर एक बस बनाया गया होगा और फिर तैरने वाले पत्थरों को इकट्ठे करके उन्हें आपस में रस्सी से अच्छी तरह बांधा गया होगा। माना जाता है कि आज भी समुद्र के निचले भाग पर रामसेतु मौजूद है।
Acharya Viswanatha ji Maharaj has this stone
Swimming Stone of Ram Setu, Ram Setu Develop by NAL and NIL its also Called Nal Nil Setu.Acharya Viswanatha ji Maharaj has this stone. आचार्य विश्वनाथ.