
देश के गैर-बीजेपी शाषित राज्यों में राजनीतिक उठापटक जारी है, तो यूपी-गुजरात जैसे बीजेपी शासित राज्यों में भी विपक्षी नेताओं को तोड़कर हर हाल में एनडीए का कुनबा बढ़ाया जा रहा है। इन सब राजनीतिक उठा पटकों के पीछे सिर्फ और सिर्फ एक मकसद है। वो मकसद है राज्यसभा में एनडीए की बढ़त, जो करीब करीब पूरी होने ही वाली है। आगामी यूपी-राज्य सभा चुनाव में एनडीए पूरी तरह से राज्यसभा में बहुमत में आ जाएगी और यही नरेंद्र मोदी की ओर से तय सबसे बड़ा लक्ष्य माना जा रहा है। क्योंकि राज्यसभा में बहुमत मिलने के साथ ही नरेंद्र मोदी को अपने पक्ष में फैसले लेने में आसानी होती चली जाएगी और वो अपने वो सभी एजेंडे पूरी करेंगे, जो अबतक नहीं कर पाएं हैं। शायद इसमें साल 2019 के चुनाव से पहले श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का मसला भी हो।
राज्यसभा में 245 सांसद होते हैं और यहां बहुमत के लिए 123 सांसदों की जरूरत है। मौजूदा समय में एनडीए के पास और निर्दलीय सांसदों को मिलाने के साथ उसके साथ खड़े हे सकते वाली क्षेत्रीय पार्टियों के सांसदों को मिलाकर 121 सांसदों का साथ है, जो बहुमत के बेहद करीब है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीतियों पर चलकर पार्टी आने वाले समय में यूपी की 9 सीटों में से कम से कम 8 सीटों पर कब्जा जमा सकती है। संभवत: मानसून सत्र के आखिर में हासिल हो सकने वाली ये जीत बीजेपी के लिए बड़े मौके की तरह होगी, जिसके बाद पार्टी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नीतियों को बनाने में किसी तरह की परेशानी नहीं झेलेगी। लोकसभा में बीजेपी-लेड एनडीए के पास पहले से ही प्रचंड बहुमत है।
इस समय एनडीए के पास 89 सांसद हैं। इसके अलावा अब जेडीयू के 10 एनडीए के साथ आ गए हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश से पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के निधन से खाली हुई सीट को भी उप-चुनाव में बीजेपी ने जीत लिया है। वहीं, वो गुजरात से एक सीट कांग्रेस से छीनने के बाद 91 सांसदों की गिनती तक पहुंच गया। मौजूदा समय में एनडीए के पास 91 सीटे हैं।
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इसके अलावा एआईएडीएमके, बीजेडी, टीआरएस, वाईएसआरसीपी और इनेलो भी बीजेपी को लेकर नरम रूख रखती हैं। इन दलों के कुल मिलाकर 26 सांसद हैं। इसके अलावा 8 मनोनीत सांसदों में से 4 सांसद भी एनडीए को सपोर्ट करते हैं। इस तरह से कुल मिलाकर एनडीए और क्षेत्रीय दलों के पास(जो एनडीए के पक्ष में खड़े हो सकते हैं) 121 सांसद हो गए हैं। ये बहुमत से सिर्फ 2 कदम पीछे है। अब बीजेपी यूपी की 9 में से कम से कम 8 सीटें जीतने की हालत में पहुंच चुकी है, जबकि बिहार में उसे थोड़ा झटका लग सकता है। यहां अगले साल 6 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें 4 बीजेपी की और दो सीटें जेडीयू की हैं। पर कांग्रेस और आरजेडी मिलकर इसमें से 3 सीटें छीन सकती हैं।