अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के अलावा बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद और पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र और साधना सिंह को दोषमुक्त करार कर दिया.

रांची: चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया है. 3 जनवरी को मामले अब उनको सजा सुनाई जाएगी. फैसला आने के बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के अलावा बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद और पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र और साधना सिंह को दोषमुक्त करार कर दिया. जबकि लालू सहित 16 लोगों को अदालत ने दोषी पाया है. इस मामले में दोषी ठहराये गए सभी 16 लोगों को हिरासत में लेकर बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया है.
अदालत ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख़, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में फैसला सुनाया है. अवैध ढंग से धन निकालने के इस मामले में लालू प्रसाद यादव एवं अन्य के खिलाफ सीबीआई ने आपराधिक षड्यन्त्र, गबन, फर्जीवाड़ा, साक्ष्य छिपाने, पद के दुरुपयोग आदि से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी, 409, 418, 420, 467, 468, 471, 477 ए, 201, 511 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) एवं 13(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया था.
इस मामले में कुल 38 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इनमें से 11 की मौत हो चुकी है, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गयी थी. इसके बाद 22 आरोपी बच गए थे, जिनको लेकर यह फैसला सुनाया गया.
इस मामले में तीन आईएएस अधिकारियों फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद को भी आरोपी बनाया गया था.
फैसला आते ही आरजेडी के प्रवक्ता मनोज झा की की ओर से तुरंत प्रेस कांन्फ्रेस की गई और फैसले पर सवाल उठाए गए. आरजेडी ने कहा कि अवैध निकासी पर जिसने एफआईआर किया है उसी को जेल भेज दिया गया. इसके पीछे पूरी तरह से बीजेपी की साजिश है. हमें पूरी न्यायपालिका पर भरोसा है. इस देश को सिर्फ दो लोग चला रहे हैं.
इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, सत्तर लाख रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में इन सभी को सजा हो चुकी है. करीब 21 साल तक चले इस मामले में इससे पहले कई पूर्व अधिकारियों को सजा सुनाई जा चुकी है. चारा घोटाला एक ऐसा मामला था जिसकी वजह से लालू के राजनीतिक करियर में ग्रहण लग गया है. हालांकि इस मामले में वह करीब 21 सालों तक कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करते रहे और कई बार उनको हिरासत में लिया गया.
कानूनी जानकारों की मानें तो इस बार लालू के लिए जमानत पर जेल से बाहर आ पाना मुश्किल होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अब लालू की गिनती बार-बार जेल आनेवाले दोषी के रूप में होगी और ऐसे मामलों में जमानतमिलना मुश्किल होता है। चारा घोटाले से जुड़े एक अन्य मामले में लालू यादव पहले भी दोषी करार दिए जा चुके हैं।
2013 में अदालत ने उन्हें चाईबासा कोषागार से 37.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का दोषी पाया था। तब लालू को 5 साल जेल की सजा हुई थी और 25 लाख रुपये जुर्माना लगा था। अब शनिवार को कोर्ट ने देवघर के सरकारी कोषागार से 84.53 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया है। स्पेशल सीबीआई कोर्ट लालू समेत कुल 16 दोषियों के लिए 3 जनवरी को सजा का ऐलान करेगा।
पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील आईवी गिरि बताते हैं, ‘पिछले कई फैसलों पर नजर डालने से हाई कोर्ट्स इस तरह (दोबारा दोषी करार दिए जाने) के मामलों में जमानत देने में पूरी तरह से एक ढर्रे पर चलते दिखे हैं।’ गिरि ने बताया कि लालू यादव को 2013 में भी हाई कोर्ट से नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।
इस मामले से जुड़े सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, लालू के नाम पर पांच मामले झारखंड में और एक मामला बिहार में दर्ज है। झारखंड के 5 मामलों में लालू दो में दोषी करार दिए जा चुके हैं। बाकी 3 मामलों में ट्रायल जारी है। इनमें दुमका ट्रेजरी से 3.97 करोड़ रुपये, चाईबासा ट्रेजरी से 36 करोड़ रुपये, डोरंडा ट्रेजरी से 184 करोड़ रुपये जबकि बिहार की भागलपुर ट्रेजरी से 45 लाख रुपये अवैध निकासी के मामले शामिल हैं।
