आचार्य विश्वनाथ श्रीवास्तव जी महाराज- समझो तो विधाता हमें लाया है धरा पर, कुछ और हैं हम मिट्टीके खिलोने नहीं हैं हम॥

संसार की तारणहार शक्ति का हैं भगवद भक्ति। सर्वशक्तिमान परमात्मा की असीम अनुकम्पा के बिना भगवत्भक्ति की अभिव्यक्ति असंभव हैं।
ग्रंथो की माने तो दानी वो है जो दान करने के बाद भी अपने आप को महान नहीं समझता, ना ही अपने नाम के लिए कोई दान करता हो, दान में शिक्षा का दान सर्वोपरि है | और उससे भी महान दान जो किसी के भाग्य को बदल दे, वो इस भूमण्डल का सबसे बड़ा दानी है वो महादानी है|
और ऐसे ही एक महादानी से हम आज आपको परिचय कराएँगे, इन्होने ना केवल सपने दिखाए अपितु ये उस सपनो को साकार करने में उनके सरन में आये हर उस श्रद्धालु हर उस भक्त का साथ भी दिए| बड़े से बड़े सेलेब्रेटी, भी भी आई पी इनसे मिलना चाहते है, लेकिन इनका कहना है की आप अपने कर्मो को करते जाये बिना मिले ही आपके सपनो को पूरा करते रहेंगे |
कहते है की घट घट में भगवान् का वास है ये शत् प्रति शत् सत्य है | आचार्य विश्वनाथ श्रीवास्तव जी महाराज का कहना है की हर इंसान में अच्छाई और बुराई छिपी होती है बसर्ते वो लोग बुरी आत्मा की आवाज को सुनते है इसलिए गलत राह पर चल पड़ते है | अच्छाई ‘सत्य’ हमेसा कड़वा होता है जो इंसान कड़वा घुट पि लेगा उसका कभी बुरा नहीं होगा |
आज आपको रावण के एक ऐसे भक्त से परिचय कराने जा रहे है जो हर दिन प्रचांड पंडित रावण के मंत्रो का जाप करते है, ये कोई और नहीं वाराणसी से ज्ञान प्राप्त किये आचार्य विश्वनाथ श्रीवास्तव जी महाराज है, लोगो का कहना है की इन्होने अभी तक जो भी भविष्य वाड़ी किये है वो शत् प्रति शत् सत्य साबित हुआ है |
आचार्य विश्वनाथ श्रीवास्तव
पिता जी स्वर्गीय राम बाबू
माता जी विजय लक्ष्मी श्रीवास्तव
आचार्य विश्वनाथ जी कि माता जी लखनऊ के तिवारी परिवार से थीं,
आचार्य विश्वनाथ जी कि पढाई अखिल भारतीय ज्योतिष संस्थान वाराणसी से हुई, और फिर दिल्ली से ज्योतिष शिरोमणि की ज्ञान प्राप्त किये|
कानपुर में 1992 से पूजा पाठ में रूझान,
1996 से शिव तांडव का पाठ किया उसके बाद गीता, रामायण, दुर्गा सप्तशती, शिव पुराण, भविष्य पुराण, वेद, आदि ग्रन्थों की विधि विधान से ज्ञान अर्जित किये | आचार्य विश्वनाथ श्रीवास्तव जी मुम्बई महाराष्ट्र में रह रहे है,
बिगत 1996 हिमाचल की रानी माँ पीतांबरा बगुला मुखी की सिद्धि प्राप्त्त की 2010 में आसाम माँ कामाखया देवी की साधना सिद्धि की |
आचार्य विश्वनाथ श्रीवास्तव जी का कहना है कि 26 दिसंबर 2017 से 14 जनवरी 2018 तक पूरे विश्व में भूकम्प आने की समभावना है जिसमेँ सबसे अधिक नुकसान भारत के पशिचम बंगाल का होगा |
आचार्य विश्वनाथ श्रीवास्तव जी महाराज मुख्य पूजा लंकाधि पति रावण की करते हैं, जिनके शिव तांडव के उच्चारण मात्र से ही दुखी मनुष्य का कल्याण हो जाता है|

तूलसी वृक्ष ना जानिए।
गाय ना जानिए ढोर।।
माता-पिता मनुष्य ना जानिए।
ये तीनों नन्द किशोर।।
अर्थात: तूलसी को कभी वृक्ष नहीं
समझना चाहिए, और गाय को कभी
पशु ना समझे, तथा माता-पिता को
कभी मनुष्य ना समझें, क्योंकि ये तीनो
तो साक्षात भगवान का रूप हैं।