*सुप्रभातम्* 
««« *आज का पंचांग* »»»
कलियुगाब्द……………..5119
विक्रम संवत्……………2074
शक संवत्………………1939
मास…………………….अगहन
पक्ष……………………....कृष्ण
तिथी……………………..षष्ठी
दोप 04.41 पर्यंत पश्चात सप्तमी
रवि…………………दक्षिणायन
सूर्योदय……….06.36.26 पर
सूर्यास्त……….05.45.35 पर
तिथि स्वामी………..कार्तिकेय
नित्यदेवी…………महावज्रेश्वरी
नक्षत्र…………………...पुनर्वसु
दोप 01.38 पर्यंत पश्चात पुष्य
योग………………………साध्य
प्रातः 08.54 पर्यंत पश्चात शुभ
करण……………………वणिज
दोप 04.41 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु……………………….शरद
दिन…………………….गुरुवार
🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
09 नवम्बर सन 2017 ईस्वी ।
*राहुकाल* :-
दोपहर 01.32 से 02.55 तक ।
*दिशाशूल* :-
दक्षिणदिशा –
यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।
☸ शुभ अंक……………..5
🔯 शुभ रंग…………….पीला
✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 06.39 से 08.01 तक शुभ
प्रात: 10.47 से 12.10 तक चंचल
दोप. 12.10 से 01.32 तक लाभ
दोप. 01.32 से 02.55 तक अमृत
सायं 04.18 से 05.41 तक शुभ
सायं 05.41 से 07.18 तक अमृत
रात्रि 07.18 से 08.55 तक चंचल |
*आज का मंत्र* :-
|| ॐ बृहस्पतये नमः ||
*सुभाषितम्* :-
*अष्टावक्र गीता – अष्टादश अध्याय :-*
क्व धैर्यं क्व विवेकित्वं
क्व निरातंकतापि वा।
अनिर्वाच्यस्वभावस्य
निःस्वभावस्य योगिनः॥१८- ७९॥
अर्थात :- योगी को धैर्य कहाँ, विवेक कहाँ और निर्भयता भी कहाँ? उसका स्वभाव अनिर्वचनीय है और वह वस्तुतः स्वभाव रहित है॥७९॥
*आरोग्यं* :-
स्किन फंगल इंफेक्शन के आसान उपचार :-
▪ इससे बचने के लिए पैरों को खुले वातावरण में रखना चाहिए।
▪ मोजे सूती की और साफ पहननी चाहिए।
▪ इंफेक्शन होने पर बराबर मात्रा में पानी और सिरका मिलाकर पैरों को दस मिनट उसमें रखें फिर पोंछकर, सुखाकर, एंटी फंगल क्रीम लगाएं।
▪ इलाज के लिए नियमित साफ-सफाई प्रभावित हिस्सों को यथासंभव सूखा रखने की कोशिश करनी चाहिए, टैल्कम पाउडर का उपयोग हरगिज नहीं करें।
▪ जिंक ऑक्साइड युक्त क्रीम एवं एंटी फंगल क्रीम को मिलाकर लगा सकते हैं।
▪ त्वचा को नमी और गर्म वातावरण से बचाएं।
▪ कसे हुए नाइलॉन, पॉलिस्टर आदि के बने वस्त्र या अंडरगारमेंट नहीं पहनें।
⚜ *आज का राशिफल* :-
*राशि फलादेश मेष* :-
मेहनत का फल मिलेगा। परिवार की चिंता रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रमाद न करें। अपने काम से काम रखें।
*राशि फलादेश वृष* :-
प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मेलजोल बढ़ेगा। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। विवाद से बचें। राज्यपक्ष से लाभ होगा।
*राशि फलादेश मिथुन* :-
भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। बेरोजगारी दूर होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। दांपत्य सुख प्राप्त होगा।
*राशि फलादेश कर्क* :-
फालतू खर्च होगा। झंझटों में न पड़ें। वाणी पर नियंत्रण आवश्यक है। अपेक्षाकृत कार्यों में बाधा आएगी। किसी कार्य में जुड़ने की प्रवृत्ति शुभ रहेगी।
*राशि फलादेश सिंह* :-
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। दूर रहनेवाले व्यक्तियों से संपर्क से लाभ हो सकता है।
🏻
*राशि फलादेश कन्या* :-
कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है। योजना फलीभूत होगी। बेचैनी रहेगी। अस्वस्थता का ध्यान रखें। नई योजनाओं का सूत्रपात होने के योग हैं।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। धनार्जन होगा। कार्यक्षमता में वृद्धि होगी। व्यर्थ संदेह न करें।
*राशि फलादेश वृश्चिक* :-
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। जल्दबाजी से हानि होगी। बुद्धि चातुर्य से कठिन कार्य आसानी से बनेंगे।
*राशि फलादेश धनु* :-
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। बेचैनी रहेगी। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। धन प्राप्ति होगी। व्यापार अच्छा चलेगा।
*राशि फलादेश मकर* :-
संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। व्यर्थ समय नष्ट न करें।
*राशि फलादेश कुंभ* :-
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। चोट व रोग से बचें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।
*राशि फलादेश मीन* :-
वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। बुरी सूचना मिल सकती है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अपने प्रयासों से उन्नति पथ प्रशस्त करेंगे।
☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।
।। *शुभम भवतु* ।।
🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 
आचार्य विश्वनाथ मुम्बई महाराष्ट्र
~ आचार्य विश्वनाथ मुम्बई महाराष्ट्र
आज का हिन्दू पंचांग* ~ 
*आज का दिनांक 09 नवम्बर 2017*
*दिन – गुरुवार*
*विक्रम संवत – 2074*
*शक संवत -1939*
*अयन – दक्षिणायण*
*ऋतु – हेमंत*
*मास – मार्गशीष*
*गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार मास – कार्तिक*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – षष्ठी शाम 04:41 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र – पुनर्वसु दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग – साध्य सुबह 08:46 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहुकाल – दोपहर 01:46 से शाम 03:08 तक*
*सूर्योदय – 06:46*
*सूर्यास्त – 17:57*
*दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण – गुरुपुष्पामृत योग (दोपहर 01:39 से 10 नवम्बर सूर्योदय तक)*
*विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*~ हिन्दू पंचांग ~* 
*भैरव अष्टमी* 
🏻 *10 नवंबर,शुक्रवार को भैरव अष्टमी पर्व है। यह दिन भगवान भैरव और उनके सभी रूपों के समर्पित होता है। भगवान भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है,इनकी पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना जाता है।
🏻 भगवान भैरव को कई रूपों में पूजा जाता है। भगवान भैरव के मुख्य 8 रूप माने जाते हैं। उन रूपों की पूजा करने से भगवान अपने सभी भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें अलग-अलग फल प्रदान करते हैं।*
➡ *भगवान भैरव के 8 रूप जानें कौन-सी मनोकामना के लिए करें किसकी पूजा*
1⃣ *कपाल भैरव*
*इस रूप में भगवान का शरीर चमकीला है, उनकी सवारी हाथी है । कपाल भैरव एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में तलवार तीसरे में शस्त्र और चौथे में पात्र पकड़े हैं। भैरव के इन रुप की पूजा अर्चना करने से कानूनी कारवाइयां बंद हो जाती है । अटके हुए कार्य पूरे होते हैं ।*
2⃣ *क्रोध भैरव*
*क्रोध भैरव गहरे नीले रंग के शरीर वाले हैं और उनकी तीन आंखें हैं । भगवान के इस रुप का वाहन गरुण हैं और ये दक्षिण-पश्चिम दिशा के स्वामी माने जाते ह । क्रोध भैरव की पूजा-अर्चना करने से सभी परेशानियों और बुरे वक्त से लड़ने की क्षमता बढ़ती है ।*
3⃣ *असितांग भैरव*
*असितांग भैरव ने गले में सफेद कपालों की माला पहन रखी है और हाथ में भी एक कपाल धारण किए हैं । तीन आंखों वाले असितांग भैरव की सवारी हंस है । भगवान भैरव के इस रुप की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य में कलात्मक क्षमताएं बढ़ती है ।*
4⃣ *चंद भैरव*
*इस रुप में भगवान की तीन आंखें हैं और सवारी मोर है ।चंद भैरव एक हाथ में तलवार और दूसरे में पात्र, तीसरे में तीर और चौथे हाथ में धनुष लिए हुए है। चंद भैरव की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलता हैं और हर बुरी परिस्थिति से लड़ने की क्षमता आती है ।*
5⃣ *गुरू भैरव*
*गुरु भैरव हाथ में कपाल, कुल्हाडी, और तलवार पकड़े हुए है ।यह भगवान का नग्न रुप है और उनकी सवारी बैल है।गुरु भैरव के शरीर पर सांप लिपटा हुआ है।गुरु भैरव की पूजा करने से अच्छी विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है ।*
6⃣ *संहार भैरव*
*संहार भैरव नग्न रुप में है, और उनके सिर पर कपाल स्थापित है ।इनकी तीन आंखें हैं और वाहन कुत्ता है । संहार भैरव की आठ भुजाएं हैं और शरीर पर सांप लिपटा हुआ है ।इसकी पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप खत्म हो जाते है ।*
7⃣ *उन्मत भैरव*
*उन्मत भैरव शांत स्वभाव का प्रतीक है । इनकी पूजा-अर्चना करने से मनुष्य की सारी नकारात्मकता और बुराइयां खत्म हो जाती है । भैरव के इस रुप का स्वरूप भी शांत और सुखद है । उन्मत भैरव के शरीर का रंग हल्का पीला हैं और उनका वाहन घोड़ा हैं।*
8⃣ *भीषण भैरव*
*भीषण भैरव की पूजा-अर्चना करने से बुरी आत्माओं और भूतों से छुटकारा मिलता है । भीषण भैरव अपने एक हाथ में कमल, दूसरे में त्रिशूल, तीसरे हाथ में तलवार और चौथे में एक पात्र पकड़े हुए है ।भीषण भैरव का वाहन शेर है ।*
~ *हिन्दू पंचांग* ~ 
*कालभैरव अष्टमी* 
🏻 *धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था। इसलिए इस पर्व को कालभैरव जयंती को रूप में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 10 नवंबर,शुक्रवार को है।*
🏻 *भगवान कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है। तंत्र शास्त्र के अनुसार,किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनके 52 रूप माने जाते हैं। इनकी कृपा प्राप्त करके भक्त निर्भय और सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। कालभैरव जयंती पर कुछ आसान उपाय कर आप भगवान कालभैरव को प्रसन्न कर सकते हैं।*
➡ *ये हैं कालभैरव को प्रसन्न करने के 11 उपाय, कल कोई भी 1 करें*
🏻 *1. कालभैरव अष्टमी को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने भगवान कालभैरव की तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजा करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा भैरव महाराज से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।*
*मंत्र- ‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:’*
🏻 *2. कालभैरव अष्टमी पर किसी ऐसे भैरव मंदिर में जाएं, जहां कम ही लोग जाते हों। वहां जाकर सिंदूर व तेल से भैरव प्रतिमा को चोला चढ़ाएं। इसके बाद नारियल, पुए, जलेबी आदि का भोग लगाएं। मन लगाकर पूजा करें। बाद में जलेबी आदि का प्रसाद बांट दें। याद रखिए अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।*
🏻 *3. कालभैरव अष्टमी को भगवान कालभैरव की विधि-विधान से पूजा करें और नीचे लिखे किसी भी एक मंत्र का जाप करें। कम से कम 11 माला जाप अवश्य करें।*
*- ॐ कालभैरवाय नम:।*
*- ॐ भयहरणं च भैरव:।*
*- ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।*
*- ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्*
🏻 *4. कालभैरव अष्टमी की सुबह भगवान कालभैरव की उपासना करें और शाम के समय सरसों के तेल का दीपक लगाकर समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।*
🏻 *5. कालभैरव अष्टमी पर 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही, एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।*
🏻 *6. कालभैरव अष्टमी को एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। इस क्रम को जारी रखें, लेकिन सिर्फ हफ्ते के तीन दिन (रविवार, बुधवार व गुरुवार)। यही तीन दिन भैरवनाथ के माने गए हैं।*
🏻 *7. अगर आप कर्ज से परेशान हैं तो कालभैरव अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें बिल्व पत्र अर्पित करें। भगवान शिव के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें।*
*मंत्र- ॐ ऋणमुक्तेश्वराय नम:*
🏻 *8. कालभैरव अष्टमी के एक दिन पहले (09 नवंबर, गुरुवार) उड़द की दाल के पकौड़े सरसों के तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर सुबह 6 से 7 बजे के बीच बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकलें और कुत्तों को खिला दें।*
🏻 *9. सवा किलो जलेबी भगवान भैरवनाथ को चढ़ाएं और बाद में गरीबों को प्रसाद के रूप में बांट दें। पांच नींबू भैरवजी को चढ़ाएं। किसी कोढ़ी, भिखारी को काला कंबल दान करें।*
🏻 *10. कालभैरव अष्टमी पर सरसो के तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे पकवान तलें और गरीब बस्ती में जाकर बांट दें। घर के पास स्थित किसी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं।*
🏻 *11. सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरवनाथ के मंदिर में कालभैरव अष्टमी पर चढ़ाएं।*
🏻 *12. कालभैरव अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान कालभैरव के मंदिर जाएं और इमरती का भोग लगाएं। बाद में यह इमरती दान कर दें। ऐसा करने से भगवान कालभैरव प्रसन्न होते हैं।*
🏻 *13. कालभैरव अष्टमी को समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।*
*~ हिन्दू पंचांग ~* आचार्य विश्वनाथ मुम्बई महाराष्ट्र
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