गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद यूपी की बीजेपी सरकार बैकफुट पर है. हर तरफ शासन-प्रशासन की किरकिरी हो रही है. आरोप हैं कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते मासूम बच्चे मौत के काल में समा गए. मगर योगी सरकार इस दावे को गलत करार दे रही है. बहरहाल, सच्चाई ये है कि अस्पताल में मासूम बच्चों ने इलाज के अभाव में दम तोड़ा है.
दूसरी तरफ अस्पताल के अतीत के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं. आंकड़ों के मुताबकि, 2014 से 2016 तक बीआरडी अस्पताल में हर दिन औसतन 16-18 मरीजों की मौत हुई है. इतना ही नहीं यहां आने वाले हर 10वें मरीज की मौत हो जाती है.
2014 में 5850 मौत
साल 2014 के आंकड़े बताते हैं कि बारह महीनों में बीआरडी अस्पताल में कुल 51018 मरीज भर्ती किए गए. रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 5850 मरीजों की मौत हुई. यानी इस साल हर दिन भर्ती मरीजों की औसतन संख्या करीब 139 रही, जिनमें से हर दिन औसतन 16 मरीजों की मौत हो गई. इस साल सबसे ज्यादा मौत जून से सितंबर के बीच हुईं.
2015 में 6917 मौत
साल 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक हर दिन बीआरडी अस्पताल में औसतन 167 मरीज भर्ती हुए. इस दौरान यहां हर दिन औसतन 18 मरीजों ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया. जबकि कुल आंकड़े की बात करें तो इस साल बीआरडी में 61295 मरीज भर्ती हुए और इनमें से 6917 वापस अपनी घर नहीं जा सके और उनकी मौत हो गई. इस साल अगस्त में सबसे ज्यादा 6727 मरीजों की मौत हुई.
2016 में 6121 मौत
2016 के आंकड़े भी पिछले दो सालों से मिलते-जुलते ही हैं. इस साल यहां भर्ती मरीजों की औसतन संख्या 166 रही. जिनमें से हर दिन मौत का औसत 16 रहा. यानी इस साल भी बीआरडी अस्पताल आने वाले मरीजों में हर 10वां मौत का शिकार हो गया. इस साल कुल 60891 भर्ती मरीजों में से 6121 की मौत हो गई.
यूपी सरकार की एक दलील तो आंकड़ों पर खरी उतरती है कि अगस्त महीने में हर साल ही ज्यादा मौत होती हैं. मगर ये भी हकीकत है कि इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियों के प्रकोप से जनता को बचाने में सरकार और प्रशासन नाकाम नजर आ रहे हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संसदीय क्षेत्र गोरखपुर रहा है और वो खुद 1996 से इस मामले को उठाने का दावा करते रहे हैं.
बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में 64 मरीजों की मौतों के बाद रविवार को योगी आदित्यनाथ यहां दौरा करने पहुंचे। उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और यूपी के मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर आशुतोष टंडन भी रहे। शाम को वाइस प्रिंसिपल डॉक्टर कफील खान को सभी जिम्मेदारियों से हटा दिया, साथ ही हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट पर भी कार्रवाई हुई। योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हरसंभव मदद की बात कही है। इस घटना पर केंद्र ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। कांग्रेस ने कहा कि बच्चों की मौत नहीं हुई, उनकी हत्या की गई है। ये सरकार हत्यारी है। 90 लाख से ज्यादा बच्चों के वैक्सीनेशन किए गए…
योगी ने कहा, “दो तीन दिनों से समाचार चल रहे हैं। पीएम चिंतित हैं। कल पीएम ने फोन किया था। यूपी के विकास और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मदद देने का भरोसा दिलाया था। पीएम ने स्वास्थ्य कल्याण के लिए जेपी नड्ढा का भेजा है।” – “मैंने अफसरों को यहां भेजा था। कलेक्टर से भी रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और आशुतोष टंडन को भेजा था। भारत सरकार के चिकित्सा सचिव भी यहां मौजूद थे। दिल्ली से स्पेशलिस्ट्स की टीम यहां भेजी है।” – “इंसेफ्लाइटिस की लड़ाई के लिए हमने कई कार्यक्रम चलाए हैं। प्रदेश के 38 जिलों में 90 लाख से ज्यादा बच्चों वैक्सीनेशन किया गया है। मैंने 4 बार बीआरडी कॉलेज में विजिट किया है। 9 जुलाई को भी मैं आया था।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में भावुक हुए योगी
– योगी ने कहा, “7 जिलों के डीएम से बातकर पूछा था कि इंसेफ्लाइटिस के खिलाफ क्या किया जाना चाहिए। मैंने 1996-97 से इस लड़ाई को देखा है।” प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान योगी भावुक हो गए।
– “मेरे से ज्यादा भावनाएं किसकी हैं? उनकी पीड़ा को मुझसे ज्यादा कौन समझेगा? पत्रकारों को वीडियोग्राफर के साथ वार्ड में जाने की इजाजत दी है। स्वाइन फ्लू भी बढ़ रहा है। डेंगू, चिकनगुनिया भी है।”
– “मैंने पूछा है कि इनके खिलाफ क्या तैयारियां हैं? हर हॉस्पिटल में नोडल अफसर नियुक्त किया जाएगा। ऑक्सीजन सप्लाई के मुद्दे की भी जानकारी मांगी है। कमेटी जांच कर रही है। हम सख्त कार्रवाई करेंगे। लापरवाहों को बख्शा नहीं जाएगा।”
वाइस प्रिंसिपल समेत 2 अफसरों को हटाया
– बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद हाॅस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन पर कार्रवाई शुरू हो गई। रविवार को हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट और वाइस प्रिंसिपल डॉक्टर कफील खान को हटा दिया गया। कफील अब हॉस्पिटल में किसी भी अहम पद पर नहीं रहेंगे। उनकी जगह डॉ. भूपेंद्र शर्मा को जिम्मेदारी दी गई है।
– शनिवार को मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को भी हटाया जा चुका है। उनकी जगह अंबेडकर नगर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. पीके सिंह को एडिशनल चार्ज दिया गया है।
अभी कितने और बच्चे मरेंगे
– कांग्रेस के यूपी चीफ राज बब्बर ने कहा, “बच्चों की मौत नहीं हुई, उनकी हत्या हुई है। बीजेपी सरकार हत्यारी है। मैं हत्यारी सरकार से पूछना चाहता हूं कि अभी कितने और बच्चे मरेंगे।”
– “गोरखपुर में हुआ ये हत्याकांड शर्मनाक है। इसलिए शर्मनाक है कि घटना के 48 घंटे पहले मुख्यमंत्री हॉस्पिटल आए थे। यहां के अफसरों-डॉक्टरों के साथ चाय पी रहे थे।”
– “योगी कह रहे हैं कि जांच गठित की गई है। मैं पूछना चाहता हूं कि ये किस बात की जांच की जा रही है। सरकार तो अपने फैसले में पहले ही कह चुकी है कि ये मौतें ऑक्सीजन की वजह से नहीं हुईं।”
– “मैं योगी के चुनाव क्षेत्र गोरखपुर गया। वे यहीं से कई बार सांसद रहे। अब वे मुख्यमंत्री हैं। लगता ही नहीं कि ये उनका क्षेत्र है।”
गैस सप्लाई बाधित होने से बच्चों की मौत नहीं हुई
– हेल्थ मिनिस्टर सिद्धार्थ नाथ सिंह ने शनिवार को कहा- ”हमने जांच की है और हम इस निष्कर्ष पर आए हैं कि गैस सप्लाई बाधित होने से बच्चों की मौत नहीं हुई है। मामले में लापरवाही बरतने की वजह से कॉलेज के प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया है। दोषियों के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।”
– उन्होंने माना कि हॉस्पिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, 7 अगस्त से अलग-अलग बीमारियों की वजह से 60 बच्चों की मौत हुई।
– सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि गोरखपुर में जो हुआ वह गलत है। मैं खुद दो बार बीआरडी कॉलेज गया था। इस पर नरेंद्र मोदी भी चिंतित हैं। मैं मीडिया से कहना चाहता हूं कि तथ्यों को सही तरह से रखा जाए। आप सही आंकड़े देंगे तो ये मानवता की बड़ी सेवा होगी।
– योगी ने कहा कि मैं आपसे कहना चाहता हूं कि तथ्यों को सही तरह से रखा जाए। आज अलग-अलग पेपर्स में अलग आंकड़े पब्लिश हुए हैं। 7 अगस्त को 9 मौतें हुई हैं। 8 अगस्त को 12 मौतें हुई हैं। 9 अगस्त को 9 मौतें हुई हैं। 10 अगस्त को 23 मौतें और 11 अगस्त को 12 बजे तक 11 मौतें हुई हैं।
– उधर, कांग्रेस, एसपी और बीएसपी समेत विपक्ष ने योगी से इस्तीफा मांगा है। मायावती ने कहा कि बीजेपी की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है।
यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- अगस्त में ज्यादा मौतें होती हैं
– यूपी के हेल्थ मिनिस्टर सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, “हर साल अगस्त में ज्यादा मौतें होती हैं। अगस्त के महीने में 2014 में बीआरडी के पीडियाट्रिक विंग में 567 बच्चों की मौतें हुईं। 19 बच्चे हर रोज मौत के मुंह में गए। 2015 में 668 मौतें हुईं, करीब 22 बच्चों की मौत हर दिन हुईं। 2016 में 587 बच्चों की मौत यानी 19-20 मौतें हर रोज हुई थीं।”
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को सस्पेंड किया
– अनुप्रिया पटेल ने कहा, “बहुत सारी बातें हम सही स्वरूप में नहीं समझ रहे हैं, उन्हें सीएम ने आपके सामने रखा। पिछले कई साल में बीआरडी में मौतों का क्या आंकड़ा है, ये हम बताएंगे। जो भी दोषी है, उसके ऊपर कठोरता के साथ कार्रवाई की जाएगी। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की गलती पाई गई, उन्हें सस्पेंड किया गया है। यूपी सरकार अपनी रिपोर्ट केंद्र को भेजेगी। मैं भी पीएम को अपनी रिपोर्ट भेजूंगी।”