बिहार में मानो एजुकेशन सिस्टम पर ध्यान ही न दिया जा रहा हो ऐसे गलती करती है ये सिस्टम
कॉपी चेक करने के लिए मानो किसी अनपढ़ को बिठा देते है जो बिना सोचे नंबर देता है, जो मन में आया नंबर दे दिया कभी 2 दे दिया कभी 100 मार्क्स पर 200 नंबर दे दिया | अब भला इन नासमझो को कौन समझायेगा की इनके ऐसा करने से बच्चो पर क्या असर पड़ता है, ऐसा ही एक लड़का बिहार रिपोर्ट के एक मेंबर से मिला और अपनी पूरी कहानी बताई, जाने इस स्टूडेंट ‘परीछार्थी” के साथ क्या हुआ…
रोहतास जिले के दिनारा का रहने वाला है नाम धनंजय कुमार, पिता श्री नरेश यादव, माता श्रीमती आशा देवी| धनंजय कुमार बहुत गरीब परिवार से है, पिता जी मेहनत मजदूरी कर के अपने बेटे को पढ़ा रहे है और परिवार को दो वक्त का रोटी खिला रहे है, ऐसे में इनका सहारा बेटा के पढाई पर है अगर कुछ अच्छा किये तो इनका परिवार मिडिल क्लास के परिवार जैसा जीवन गुजर कर सकता है |
जब हमारे बिहार रिपोर्ट के एक मेंबर से मिले तो धनंजय का उस वक्त हालत कुछ ऐसे थी, पैर में हवाई चप्पल, हेयर स्टाईल को देखते ही मासूमियत झलक रही थी, फटा मेला झोला जिसमें एक पूरानी सी चादर और कुछ आरटीआई से जुड़ी कागजात के साथ मीडिया दफ्तर का चक्कर लगाते लगाते हमारे एक मेंबर से मिले |

आँखों में आंसू और थरथराते होंठ से बोलना सुरु किया धनंजय कुमार तो मीडिया कर्मी के आँखों में नमी आ गयी, 2017 में मैं 10 वीं का परीक्षा बिहार बोर्ड से दिये थे अंग्रेजी छोड़ कर सभी विषयों में डिसटिंगसन नम्बर आया लेकिन हिन्दी में मुझे मात्र 2 नम्बर दिया गया और मैं फेल हो गया जबकि मुझे भरोसा था कि हिन्दी में 80 नम्बर से कम नही आयेगा।
रिजल्ट आया तो देख कर मैं हैरान रह गया लेकिन मैं निराश नही हुआ रिटोटलिंग के लिए फर्म भरा और पैसा जमा किया एक माह बाद बोर्ड ने लिखित दिया कि आपको बस 2 नम्बर ही आया है, पिता जी डाटने लगे छोड़ो फिर से फर्म भर दो लेकिन मां और स्कूल के शिक्षक आगे तक लड़ने के लिए प्रेरित करते रहे फिर मैंने हाईकोर्ट में केस करने कि तैयारी शुरु कर दी ,, इसी दौरान हमारे स्कूल के ही सर जी ने कहा कि आरटीआई के तहत कांपी का जिरोक्स मिल सकता है फिर मैं अपने भैया के साथ पटना आया और आरटीआई के तहत कांपी का जिरोक्स मांगा तीन बार आवेदन देने के बाद 20 अक्टूबर को चिट्टी आया कि पैंसा जमा करके कांपी का जिरोक्स प्राप्त कर लें।
जब कांपी का जिरोक्स मिला तो उसपर 79 नम्बर अंकित था देखिए सर देखिए यही मेरी कांपी है हिन्दी की कांपी का जिरोक्स देख कर मैं तो हैरान रह गया वाउ रियल बिहारी जीनियस, ठिक तो है बहुत अच्छा बधाई, नही सर कुछ नही हुआ, अब क्या हुआ सर 1 नवम्बर को आरटीआई से ये कांपी मिला है बोर्ड के अधिकारी से मिले उन्होंने कहा कल आकर रिजल्ट ले लो परीक्षा नियंत्रक अपना मोबाईल नम्बर भी दिए उस दिन पटना में ही रुक गये ताकि कल रिजल्ट लेकर ही घर जाएंगे। 11 बजे परीक्षा निंयत्रक को फोन किया कहां हैं शाम में बोर्ड के कांउटर से रिजल्ट मिल जायेगा लेकिन 5 तारीख तक बोर्ड के कांउटर पर सुबह शाम दौड़ लगाते रहे लेकिन रिजल्ट नही मिला बाद में परीक्षा निंयत्रक फोन भी उठाना बंद कर दिए। प्लीज सर कुछ मदद करिए,,आनन फानन में स्टूडियों तैयार किया गया और फिर शुरु हुआ लाइव ,15 मिनट ही लाइव चला होगा कि बोर्ड के पीआरओ का फोन आना शुरु हो गया। लाइव में ही बोर्ड के अध्यक्ष को फोनिंग के लिए सम्पर्क किया गया उन्होने ये कहते हुए फोन काट दिया कि इसकी जानकारी नही है लेकिन फोन कटने के थोड़ी देर में बोर्ड के पीआरओ का फोन आ गया और उसने भरोसा दिलाया कि आज इस लड़के का रिजल्ट दे दिया जायेगा प्लीज बोर्ड आंफिस भेज दिजिए।।
अभी थोड़ी देर पहले बोर्ड ने धनंजय को रिजल्ट दे दिया इस तरह फेल धनंजय़ 423 नम्बर के साथ जिले के टांपर की सूची में शामिल हो गया।।
ये है सिस्टम जिन्हे सिर्फ अपनी पड़ी है जनता उनके पैर के जूती है और इस सिस्टम को जो भी दायित्व का बोध करता है उसे नये शब्दावली में कहे तो अब उन्हें देशद्रोही तक कहा जाने लगा है,, जी हा हमारे वोट से पीएम से सीएम तक बनते हैं अधिकारी लोक सेवक कहलाते हैं और जैसे ही गद्दी पर बैंठते हैं सबसे पहले जनता को कैसे कमजोर किया जाये इस पर काम करना शुरु कर देते हैं ,,,सूचना के अधिकारी से हमारे राजनेता इतने असहज महसूस कर रहे है कि इस कानून को ही समाप्त करने का निर्णय लेने की सोच रहे हैं।