ट्रेन से युवा इंजीनियर राहुल की फेककर हत्या किये जाने के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है |
इसमें कहा गया है की घटना के 3 महीने बाद भी आरोपी 7 आरपीएफ जवानो पर कोई करवाई नहीं की गयी | कोर्ट ने मामले में उत्तर प्रदेश सरकार, रेल मंत्रालय और सीबीआई से 10 सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है | याचिकाकर्ता और युवक की पत्नी ज्योति सिंह ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है |
बिहार के कैमूर जिला निवासी ज्योति ने याचिका की उनके पति राहुल 24 अगस्त को चम्बल एक्सप्रेस से दिल्ली से बनारस जा रहे थे |

इंजीनियर राहुल का शव पचौरा गांव के रेलवे ट्रैक “पटरी” के पास पाया गया था | इस वारदात का चश्मदीद अधिवक्ता कुलदीप शर्मा ने इलाहबाद जीआरपी थाने में आरपीएफ के तीन पुरुष व पांच महिला कर्मियों के साथ कोच कण्डक्टर के विरुद्ध मारपीट व प्रताड़ित करने व गाड़ी से गिर कर मौत का मुकदमा दर्ज कराया था | इसी प्रकार का मुकदमा महोबा जीआरपी थाने में भी दर्ज किया गया था |
इस मामले में आरोपी आरपीएफ स्टेशन पोस्ट पर तैनात उप निरीक्षक राजकुमारी गर्जुर, पिंकी यादव, आरक्षी अर्चना सिंह, रेख शुक्ल, आशा डेकाटे, मुकेश मिना, संतराम मिना, और कोच कण्डक्टर के विरुद्ध मुकदमा कायम कर दिया था |
इस पर आरपीएफ के वरिष्ठ मण्डल सुरक्षा आयुक्त आशीष मिश्रा द्वारा आरपीएफ कर्मियों को निलम्बित कर दिया था |
इधर थानाध्यक्ष महोबा जीआरपी ने आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजे जाने की मांग की गयी थी, किन्तु आरपीएफ अफसरों की अनुमति नहीं मिलने से आरोपियों को बंदी नहीं बनाया जा सका था |
इस प्रकरण में इंजीनियर राहुल के परिजनों ने रेल राजयमंत्री, गृह राजयमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल कर हत्या के मुक़दमा दर्ज करने एवं सीबीआई जाँच की मांग की गयी थी |
इसके साथ ही राहुल को न्याय दिलाने के लिए राहुल के फ्रेंड्स द्वारा धरना-प्रदर्शन भी शुरू हो गए थे |
इस मामले में जब स्वर्गीय इंजीनियर राहुल की विधवा पत्नी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जाँच की मांग की गयी तो आरपीएफ बैकफुट पर आ गयी और अफसरों ने आरोपियों से हाथ खींच लिए | इससे गिरफ्तारी का रास्ता साफ होते देख कर आरोपी कर्मियों द्वारा नयाणलय में आत्मसमर्पण करने की रणनिति बनायी जा रही है

राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा जी को सौंपा ज्ञापन