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श्रमिकों के गरिमामय जीवन के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करे सरकार : आर. के. सिन्हा
मजदूरी बिल, 2019 को नरेंद्र मोदी सरकार की एक ऐतिहासिक पहल बताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा राज्य सभा सदस्य आर के सिन्हा ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी तय करते समय श्रमिकों के परिवारों की स्थिति का ध्यान रखा जाना आवश्यक है ताकि मजदूरों के परिवारों के लिए गरिमामय जीवन सुनिश्चित हो सके।
मजदूरी बिल, 2019, पर राज्यसभा में चर्चा में भाग लेते हुए श्री आरके सिन्हा ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने और मजदूरों के परिवार के गरिमामय जीवन के लिए मजबूती से आवाज़ उठायी । बिल को पारित किये जाने के लिए कई सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि मजदूरों को कभी भी अत्यधिक भुगतान नहीं किया गया। श्रमिक के परिवार की चर्चा करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि एक परिवार में आम तौर पर दंपती, बच्चे और माता-पिता समेत कम से कम छह लोग होते हैं इसलिए न्यूनतम मजदूरी तय करते समय यह ध्यान में रखा जाना आवश्यक है कि ऐसे परिवारों के लिए यह राशि पर्याप्त हो।
उन्होंने कहा कि मजदूरों के आरामदायक जीवन का सबों को समर्थन करना चाहिए। श्री सिन्हा ने अपने सम्बोधन में सरकार से कहा कि मज़दूरी पर्याप्त रूप से बढ़ायी जानी चाहिए ताकि कर्मचारियों को “लाभकारी रोज़गार” मिले, न कि उन्हें केवल निर्वाह के लिए आय का साधन मुहैया हो । उन्होंने कहा कि 4-6 लोगों के एक परिवार को आराम से रहने के लिए मजदूरी भी ऎसी होनी चाहिए कि स्वास्थ्य या व्यक्तिगत आवश्यकताओं जैसी किसी भी आपातकालीन ज़रुरत को वे पूरा कर सकें और बच्चों की शिक्षा में निवेश के लिए कुछ बचत हो जाए । कम मजदूरी से मजदूरों में काम के प्रति उदासीनता आ जाती है जिससे उत्पादकता प्रभावित होती है और व्यावसायिक व्यवधान उत्पन्न होता है इसलिए कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए उच्चतर-न्यूनतम मजदूरी महत्वपूर्ण है।
न्यूनतम मजदूरी को राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री सिन्हा ने राजस्थान, दिल्ली और महाराष्ट्र की विभिन्न न्यूनतम मजदूरी का उदाहरण देते हुए कहा कि “द कोड ऑन वेजेस” राष्ट्रीय स्तर पर आधार मजदूरी भी सुनिश्चित करेगा जो कर्मचारियों के लिए उच्च और बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा । कम पूंजी वालों के प्रति चिंतित, श्री सिन्हा ने हर वर्ष मजदूरी में संशोधन की वकालत करते हुए कहा कि वर्तमान बिल में 5 साल में संशोधन का प्रावधान है ।
उन्होंने कहा कि हर साल जीवन यापन की लागत बढ़ने को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम वेतन वृद्धि को वार्षिक अभ्यास बनाना चाहिए। सभी वेतनभोगी वर्ग या सफेदपोश कर्मचारियों के वेतन में हर वर्ष वृद्धि होती है इसलिए ऐसे में ब्लू कॉलर वर्कफोर्स को 5 साल में वेतन वृद्धि का कोई औचित्य नहीं है।
Government should fix minimum wages for the dignity of workers RK Sinha
मजदूरी में लैंगिक भेदभाव रोकने के लिए कदम उठाने की अपील करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि इससे महिलाओं के वास्तविक सशक्तिकरण में मदद मिलेगी । श्री सिन्हा ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी, बोनस और अन्य विनियमों की सिफारिश करने के लिए केंद्रीय सलाहकार बोर्ड और राज्य सलाहकार बोर्ड में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के प्रतिनिधि होने के कारण यह बिल प्रगतिशील है। श्री सिन्हा ने कहा कि यह बिल सरकार द्वारा किए जा रहे श्रम सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर हम 3 साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ख्वाहिश रखने जा रहे हैं, तो इसमें श्रम सुधार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ।
(सतीश कुमार श्रीवास्तव)
सांसद जनसंपर्क अधिकारी
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