आरा-मोहनियां सड़क के दिन अब बहुरते दिख रहे हैं। सड़क को लेकर केन्द्र सरकार की शर्त राज्य सरकार ने मान ली।
अभी जो आरा से मोहनिया तक की सड़क की हालात है दिए गए फोटो में देखिये, बारिस होने के बाद पता नहीं चलता की गाढा कहा है ? ऐसा लगता है कभी रोड था ही नहीं, रोड में गड्ढा है या गड्ढे में रोड है पता नहीं चलता।






कोर्ट के फैसले के बाद अगर सरकार पर कुछ लायबिलिटी तय हुई तो राज्य सरकार उसका वहन करेगी। राज्य सरकार की सहमति मिलते ही केन्द्र इस सड़क के नवनिर्माण की प्रक्रिया शुरू कर देगा। राज्य सरकार द्वारा शर्त मान लेने के बाद यह सड़क केन्द्र सरकार अपने पास वापस ले लेगी।इसके बाद फोरलेन बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। राज्य सरकार ने सड़क को केन्द्र सरकार को सौंपने का फैसला पहले ही कर लिया था। चूंकि पहली निर्माण एजेन्सी के साथ सरकार का मामला कोर्ट में चल रहा है, लिहाजा लायबिलिटी को लेकर मामला फंसा हुआ था।
केन्द्र का कहना था कि अगर कोर्ट ने कुछ लायबिलिटी तय की तो उसकी देनदारी राज्य सरकार की होगी। केन्द्र की इसी शर्त पर मामला सालभर से फंसा हुआ था। पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने बताया कि राज्य सरकार लायबिलिटी वहन करने को तैयार है। ऐसे में अब इस सड़क के नवनिर्माण में कोई बाधा नहीं है। केन्द्र को वापस होते ही सड़क निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। केन्द्र सरकार ने इसे फोरलेन बनाने का जिम्मा पहले राज्य सरकार को सौंप था।
राज्य सरकार ने निर्माण के लिए टेंडर जारी कर एजेन्सी का भी चयन कर लिया। लेकिन किसी कारण से एजेन्सी के साथ राज्य सरकार का करार खत्म हो गया। लिहाजा सड़क को फोरलेन बनाने का मामला अटक गया। हालांकि बाद में निर्माण का मामला फंसा तो राज्य सरकार ने तत्काल इसकी मरम्मत करने का आग्रह केन्द्र से किया। सरकार ने लगभग 125 किमी लंबी इस सड़क की मरम्मत के लिए 90 करोड़ का स्टीमेट भी केन्द्र सरकार को भेजा था। लेकिन केन्द्र ने सड़क को ही वापस करने को कह दिया। साथ में शर्त भी लगा दी।
बिहार रिपोर्ट द्वारा सुनिए “मोहनिया” की जनता की आवाज
आरा मोहनिया पथ की बर्बादी और नेताओं की राजनीति, दिसंबर 2015 तक फोरलेन बननी थी,
अटलांटा कंपनी के जिम्मे था एनएच 30, संवाद सहयोगी मोहनिया कैमूर औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत संरचना का होना बेहद जरूरी है इधर कैमूर जिले में एक दर्जन से अधिक छोटी-बड़ी कंपनियां निवेश कर उत्पादन में लगी हैं तो वहीं कई कंपनियां अंडर कंट्रक्शन हैं
दुर्गावती औद्योगिक हब बन चुका है लेकिन खास बात यह की कैमूर जिले को राजधानी पटना से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क की बर्बादी ने जिले में पूंजी निवेश को रोक दी है कारण आरा मोहनिया पथ यानी एनएच 30 साल 2009 से खस्ताहाल की स्थिति में है| इधर दो-तीन सालों से इस रास्ते से होकर गुजरने वाले सड़क की बर्बादी देख सिहर जाते हैं, या फिर कोई दूसरा रास्ता अख्तियार करते हैं| जिले में पूंजी निवेशकों के प्रबंधकों की माने तो आरा मोहनिया पथ से उत्पादित सामान आरा पटना हाजीपुर भागलपुर मुजफ्फरपुर सहित उत्तर बिहार के कई बड़े शहरों में जाता है, पर अब मालवाहक वाहन इस रास्ते से नहीं जा रहे एनएच 30 की बर्बादी से कारोबार भी खासा प्रभावित हुआ है|
यही नहीं 116 किलोमीटर लंबी सड़क से जुड़े सैकड़ों गांव और लाखों की आबादी भी प्रभावित हुई है बहरहाल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 30 के पुनर्निर्माण के आलोक में बीते दिनों भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के आवाहन पर मानव श्रृंखला बना लोगों में एक नई उम्मीद जगी पर आपको बता दूं कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 30 को केंद्र से राज्य सरकार ने फोरलेन बनाने के लिए खुद की जिम्मेदारी साल 2009 में ली तब बिहार में एनडीए की सरकार थी एनएच 30 को फोरलेन बनाने की प्रक्रिया साल 2010 में शुरू हुई इसके आलोक में राज्य सरकार ने साल 2011 में गजट का प्रकाशन की सड़क निर्माण के लिए अटलांटा को टेंडर अवार्ड 2013 में दिया गया सड़क बनाने की अवधि 30 महीने की निर्धारित की गई यानी आरा मोहनिया पर को फोरलेन दिसंबर 2015 में तक बन जाना था| सड़क बनाने वाली कंपनी अटलांटा फरवरी 2015 में हाई कोर्ट चली गई यही नहीं अप्रैल 2016 में एनएच 30 पूनः केन्द्र सरकार के जिम्मे राज्य सरकार ने दे दी अब केन्द्र और राज्य में एनडीए की सरकार है, लिहाजा आरा मोहनिया पथ के नवनिर्माण की उम्मीद जगी है!

आरा से मोहनिया रोड कुछ ऐसा दिखेगा अब